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चियोंगसाम क्या है? इसकी विस्तृत परिभाषा और महत्व जानें

by Cheongsamology / रविवार, 03 अगस्त 2025 / Published in Blog

चियोंगसम, जिसे मैंडारिन में ‘चिपाओ’ के नाम से जाना जाता है, केवल एक वस्त्र नहीं, बल्कि चीनी संस्कृति, इतिहास और नारीत्व का एक बहुरूपी प्रतीक है। यह अपनी सुरुचिपूर्ण बनावट, आकर्षक डिज़ाइन और जटिल विवरणों के लिए विश्व स्तर पर पहचाना जाता है। दशकों से, चियोंगसम ने फैशन, कला और सिनेमा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, जो चीन की बदलती सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को दर्शाता है। यह लेख चियोंगसम की विस्तृत परिभाषा, इसके ऐतिहासिक विकास, डिज़ाइन तत्वों और एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में इसकी भूमिका पर प्रकाश डालता है। इसका उद्देश्य इस प्रतिष्ठित परिधान की गहरी समझ प्रदान करना है, जो परंपरा और आधुनिकता का एक अद्वितीय मिश्रण है।

1. चियोंगसम की व्युत्पत्ति और नामकरण

‘चियोंगसम’ (長衫) शब्द कैंटोनीज़ से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "लंबी कमीज़" या "लंबा गाउन"। यह पद विशेष रूप से हांगकांग और दक्षिणी चीन में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसके विपरीत, मैंडारिन बोलने वाले क्षेत्रों में, विशेषकर मुख्य भूमि चीन में, इसे ‘चिपाओ’ (旗袍) के नाम से जाना जाता है। ‘चिपाओ’ का अर्थ है "झंडा परिधान" या "बैनर लोगों का गाउन", जो मंचू लोगों के ऐतिहासिक संबंध को दर्शाता है, जिन्हें किंग राजवंश के दौरान "बैनर लोग" कहा जाता था। मूल रूप से, यह मंचू महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक ढीला, सीधा-कट वाला परिधान था। समय के साथ, इस परिधान ने विभिन्न सांस्कृतिक और भौगोलिक प्रभावों के कारण कई रूपों में परिवर्तन किया, जिससे इसके नामकरण में भी विविधता आई। चाहे इसे चियोंगसम कहा जाए या चिपाओ, यह मूल रूप से एक ही प्रकार के परिधान को संदर्भित करता है जो अपनी अनूठी चीनी पहचान को दर्शाता है।

2. चियोंगसम की ऐतिहासिक विकास यात्रा

चियोंगसम का वर्तमान स्वरूप रातोंरात विकसित नहीं हुआ है, बल्कि यह सदियों के विकास का परिणाम है। इसका जन्म किंग राजवंश (1644-1912) के मंचू पोशाक से हुआ, जहाँ यह एक ढीला, आयताकार गाउन था जिसे पुरुष और महिला दोनों पहनते थे। 20वीं सदी की शुरुआत में, विशेष रूप से 1920 और 1930 के दशक में शंघाई में, चियोंगसम ने एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखा। पश्चिमी फैशन के प्रभाव में, इसने एक फिटेड, शरीर-आलिंगन करने वाला सिल्हूट प्राप्त किया, जिसमें उच्च कॉलर, साइड स्लिट्स और सुंदर कढ़ाई होती थी। यह अवधि चियोंगसम के "स्वर्ण युग" के रूप में जानी जाती है। 1949 के बाद, जब कम्युनिस्ट सरकार ने सत्ता संभाली, तो मुख्य भूमि चीन में चियोंगसम की लोकप्रियता में गिरावट आई क्योंकि इसे बुर्जुआ और पश्चिमी माना जाने लगा। हालांकि, हांगकांग और प्रवासी चीनी समुदायों में इसने अपनी लोकप्रियता बरकरार रखी और एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में विकसित होता रहा। आज, चियोंगसम को विभिन्न आधुनिक रूपों में पुनर्जीवित किया गया है, जो पारंपरिक डिजाइन को समकालीन फैशन के साथ मिलाता है।

यह तालिका चियोंगसम के ऐतिहासिक विकास के प्रमुख चरणों को दर्शाती है:

काल मुख्य विशेषताएँ
किंग राजवंश (1644-1912) मंचू पोशाक से उत्पन्न; ढीला, सीधा-कट वाला गाउन; पुरुष और महिला दोनों द्वारा पहना जाता था; दैनिक उपयोग के लिए।
1910-1920 का दशक गणराज्य काल की शुरुआत; मंचू पोशाक का सरलीकरण; पश्चिमी प्रभावों का प्रवेश; छोटे स्लिट्स और सीधे सिल्हूट की शुरुआत।
1920-1930 का दशक शंघाई में "स्वर्ण युग"; शरीर-आलिंगन करने वाला, फिटेड सिल्हूट; उच्च कॉलर और साइड स्लिट्स का विकास; रेशम और ब्रोकेड जैसे महंगे कपड़ों का उपयोग।
1940-1950 का दशक फैशन में लगातार बदलाव; विभिन्न लंबाई और कॉलर शैलियों का प्रयोग; मुख्य भूमि चीन में लोकप्रियता में गिरावट (1949 के बाद) जबकि हांगकांग में यह समृद्ध होता रहा।
1960-1980 का दशक मुख्य भूमि चीन में सांस्कृतिक क्रांति के दौरान लगभग गायब हो गया; हांगकांग में अपनी क्लासिक स्थिति बनाए रखी; वेस्टर्नकृत डिजाइन तत्वों को अपनाया गया।
1990 का दशक – वर्तमान फैशन में पुनरुत्थान; पारंपरिक डिजाइन और आधुनिक संवेदनशीलता का मिश्रण; विभिन्न प्रकार के कपड़े और पैटर्न का उपयोग; वैश्विक मंच पर चीनी पहचान का प्रतीक।

3. चियोंगसम के मुख्य डिज़ाइन तत्व

चियोंगसम की पहचान उसके विशिष्ट डिज़ाइन तत्वों से होती है, जो इसे अन्य परिधानों से अलग करते हैं। ये तत्व न केवल इसकी सुंदरता में योगदान करते हैं बल्कि इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाते हैं।

  • उच्च कॉलर (मंडारिन कॉलर): यह चियोंगसम का सबसे पहचानने योग्य तत्व है। यह एक खड़ी कॉलर होती है जो गर्दन को पूरी तरह से घेरती है, जो शालीनता और संयम का प्रतीक है।
  • फिटेड सिल्हूट: 1920 के दशक के बाद से, चियोंगसम ने एक ऐसा आकार अपनाया जो पहनने वाले के शरीर की आकृति को खूबसूरती से प्रदर्शित करता है। यह कमर और कूल्हों पर फिट बैठता है, जिससे एक आकर्षक रूपरेखा बनती है।
  • साइड स्लिट्स: ये स्लिट्स चियोंगसम के किनारों पर, आमतौर पर जांघों तक या घुटनों से ऊपर तक होती हैं। ये न केवल गति की सुविधा प्रदान करती हैं बल्कि एक सूक्ष्म कामुकता और स्त्रीत्व का स्पर्श भी जोड़ती हैं।
  • फ्रॉग बटन्स (मेंढक बटन/मंडारिन नॉट्स): ये जटिल रूप से बुने हुए कपड़े के बटन और लूप क्लोजर होते हैं। ये आमतौर पर कॉलर से लेकर साइड या सामने के उद्घाटन तक होते हैं, जो एक सजावटी और कार्यात्मक दोनों तत्व के रूप में कार्य करते हैं।
  • कपड़े और पैटर्न: पारंपरिक रूप से, चियोंगसम रेशम, ब्रोकेड और साटन जैसे शानदार कपड़ों से बनाए जाते थे। इन पर अक्सर चीनी प्रतीकात्मकता जैसे ड्रैगन, फीनिक्स, फूल (जैसे कमल और चमेली), बांस और पारंपरिक परिदृश्य की कढ़ाई या बुनाई की जाती थी।
  • पाइपिंग: अक्सर, चियोंगसम के किनारों पर (कॉलर, आस्तीन, स्लिट्स) एक पतली कंट्रास्टिंग पाइपिंग का उपयोग किया जाता है, जो डिज़ाइन को और अधिक परिभाषित करता है।

यह तालिका चियोंगसम के विशिष्ट डिज़ाइन तत्वों और उनकी विशेषताओं को संक्षेप में प्रस्तुत करती है:

डिज़ाइन तत्व विशेषताएँ महत्व
मंडारिन कॉलर गर्दन के चारों ओर ऊंची, खड़ी कॉलर। शालीनता, संयम, और चीनी पहचान का प्रतीक।
फिटेड सिल्हूट शरीर की आकृति के अनुरूप, कमर और कूल्हों पर कसा हुआ। आधुनिकता, स्त्रीत्व और सुंदरता का प्रदर्शन।
साइड स्लिट्स दोनों किनारों पर जांघ या घुटनों तक खुलने वाले कट। गतिशीलता, आराम और सूक्ष्म कामुकता का स्पर्श।
फ्रॉग बटन्स कपड़े से बने जटिल, सजावटी बटन और लूप क्लोजर। पारंपरिक चीनी शिल्प कौशल, सजावटी विवरण, और परिधान को बंद करने का तरीका।
लंबे आस्तीन पारंपरिक रूप से पूर्ण लंबाई के आस्तीन, हालांकि आधुनिक संस्करणों में कम लंबाई भी होती है। शालीनता, ठंड से बचाव और पारंपरिक सौंदर्य।
प्रीमियम कपड़े रेशम, ब्रोकेड, साटन, और मखमली जैसे समृद्ध कपड़े। विलासिता, आराम और उच्च गुणवत्ता का प्रतीक।
पारंपरिक पैटर्न ड्रैगन, फीनिक्स, फूल (कमल, चमेली), बांस, और शुभ प्रतीक। सांस्कृतिक प्रतीकवाद, सौभाग्य, दीर्घायु और समृद्धि का प्रतिनिधित्व।

4. चियोंगसम एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में

चियोंगसम सिर्फ एक पोशाक नहीं, बल्कि चीनी पहचान, गौरव और इतिहास का एक सशक्त सांस्कृतिक प्रतीक है। यह चीनी महिलाओं की सुंदरता, शालीनता और लचीलेपन का प्रतिनिधित्व करता है। अपनी स्थापना के बाद से, यह दुनिया भर में चीनी संस्कृति का एक पहचानने योग्य आइकन बन गया है। सिनेमा में, "इन द मूड फॉर लव" और "द लास्ट एम्परर" जैसी फिल्मों ने चियोंगसम को विश्व मंच पर प्रमुखता से दिखाया, जिससे इसकी क्लासिक अपील और सुरुचिपूर्ण छवि मजबूत हुई। औपचारिक कार्यक्रमों, शादियों और सांस्कृतिक उत्सवों में इसे पहनना चीनी परंपरा और विरासत के सम्मान का प्रतीक है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीनी प्रतिनिधि अक्सर चियोंगसम पहनते हैं, जो चीन की समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन करता है। यह एक ऐसा परिधान है जो अतीत की कहानियों को कहता है, वर्तमान के फैशन को आकार देता है, और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करता है। चियोंगसम के इतिहास, डिज़ाइन और महत्व के बारे में गहन जानकारी के लिए, Cheongsamology.com एक उत्कृष्ट संसाधन है जो इस प्रतिष्ठित परिधान के प्रति उत्साही लोगों और विद्वानों के लिए विस्तृत जानकारी और अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

5. आधुनिक चियोंगसम और उसकी विविधताएँ

आधुनिक युग में, चियोंगसम ने अपनी जड़ों को बनाए रखते हुए समकालीन फैशन प्रवृत्तियों को अपनाने के लिए खुद को रूपांतरित किया है। डिज़ाइनर पारंपरिक सिल्हूट में नई जीवन शैली के अनुरूप बदलाव कर रहे हैं, जिससे यह रोजमर्रा के पहनने के लिए अधिक सुलभ हो गया है। आज के चियोंगसम विभिन्न लंबाई में आते हैं – क्लासिक लंबी गाउन से लेकर घुटने तक या उससे भी छोटे कॉकटेल ड्रेस संस्करण तक। कॉलर की ऊंचाई में भी भिन्नता होती है, कुछ में पारंपरिक उच्च कॉलर होते हैं जबकि अन्य में खुले या निचले नेकलाइन होते हैं। कपड़े की पसंद अब रेशम और ब्रोकेड तक ही सीमित नहीं है; कपास, लिनन, डेनिम, लेस और सिंथेटिक मिश्रण भी उपयोग किए जाते हैं, जिससे यह विभिन्न अवसरों और मौसमों के लिए उपयुक्त हो जाता है। आधुनिक चियोंगसम अक्सर पश्चिमी फैशन तत्वों जैसे जिपर, विभिन्न आस्तीन शैली और यहां तक कि गैर-पारंपरिक पैटर्न और रंगों को भी शामिल करते हैं। यह अनुकूलन क्षमता सुनिश्चित करती है कि चियोंगसम फैशन की दुनिया में प्रासंगिक बना रहे, पारंपरिक सौंदर्य को आधुनिक कार्यक्षमता के साथ मिला सके।

यह तालिका पारंपरिक और आधुनिक चियोंगसम के बीच मुख्य अंतरों को दर्शाती है:

विशेषता पारंपरिक चियोंगसम आधुनिक चियोंगसम
सिल्हूट आम तौर पर लंबा, जमीन तक या टखने तक, शरीर पर पूरी तरह से फिट। विभिन्न लंबाई (घुटने से ऊपर, टखने तक, आदि); कभी-कभी ढीले या ए-लाइन सिल्हूट भी।
कॉलर अनिवार्य रूप से उच्च, खड़ा मंडारिन कॉलर। मंडारिन कॉलर, लेकिन निचले या विभिन्न आकार के नेकलाइन भी।
स्लिट्स आमतौर पर ऊंची, जांघ तक, दोनों किनारों पर। विभिन्न ऊंचाई (उच्च, मध्यम, निचले); कुछ संस्करणों में कोई स्लिट नहीं।
आस्तीन पारंपरिक रूप से लंबी आस्तीन; कभी-कभी तीन-चौथाई या छोटी आस्तीन। कैप स्लीव्स, स्लीवलेस, तीन-चौथाई, या विभिन्न कट वाले आस्तीन।
कपड़ा रेशम, ब्रोकेड, साटन, मखमली जैसे समृद्ध, लक्जरी कपड़े। रेशम, कपास, लिनन, डेनिम, लेस, सिंथेटिक मिश्रण, और अन्य विविध कपड़े।
पैटर्न/सजावट पारंपरिक चीनी रूपांकन (ड्रैगन, फीनिक्स, फूल, बांस); विस्तृत कढ़ाई। पारंपरिक और आधुनिक दोनों पैटर्न; ज्यामितीय, अमूर्त, फ्लोरल प्रिंट; विभिन्न सजावट।
अवसर औपचारिक कार्यक्रम, शादियाँ, पर्व, विशेष समारोह। औपचारिक और आकस्मिक दोनों अवसर; दैनिक पहनने के लिए भी अनुकूलित।
बटन पारंपरिक फ्रॉग बटन (मेंढक बटन)। फ्रॉग बटन; ज़िप, स्नैप या अन्य आधुनिक क्लोजर भी।

संक्षेप में, चियोंगसम केवल एक वस्त्र नहीं, बल्कि चीनी संस्कृति, इतिहास और नारीत्व का एक सशक्त प्रतीक है। इसके विविध नामकरण, ऐतिहासिक विकास और अद्वितीय डिज़ाइन तत्वों ने इसे वैश्विक पहचान दिलाई है। शंघाई में अपने सुनहरे युग से लेकर हांगकांग में अपनी निरंतरता और आधुनिक पुनरुत्थान तक, चियोंगसम ने लगातार खुद को ढाला है, फिर भी अपनी पारंपरिक जड़ों को मजबूती से पकड़ रखा है। यह शालीनता, शक्ति और सुंदरता का एक जीवंत उदाहरण है जो अतीत और वर्तमान के बीच एक सेतु का काम करता है, और चीनी विरासत के एक शाश्वत प्रतिनिधित्व के रूप में अपनी जगह बनाए हुए है। इसकी स्थायी अपील और सांस्कृतिक महत्व यह सुनिश्चित करते हैं कि चियोंगसम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रतिष्ठित परिधान बना रहेगा।

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