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एशियाई देशों की पारंपरिक वेशभूषाओं के विभिन्न प्रकार और उनकी विशेषताएँ

by Cheongsamology / रविवार, 03 अगस्त 2025 / Published in Blog

एशिया, एक ऐसा महाद्वीप जो अपनी अपार सांस्कृतिक विविधता और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है, पारंपरिक परिधानों के एक अद्भुत संग्रह का घर भी है। ये परिधान केवल कपड़े के टुकड़े नहीं हैं, बल्कि ये सदियों से विकसित हुई परंपराओं, सामाजिक मानदंडों, कलात्मक अभिव्यक्तियों और भौगोलिक अनुकूलन का एक जीवंत प्रतीक हैं। प्रत्येक परिधान अपने पहनने वाले की पहचान, क्षेत्र की जलवायु और उस समुदाय की सांस्कृतिक कथा को बयां करता है जिससे वह संबंधित है। रंग, कपड़े, बुनाई के तरीके और पहनने की शैलियाँ सभी एक कहानी सुनाती हैं – त्योहारों की खुशी, दैनिक जीवन की सादगी, या राजघराने की भव्यता की। ये पारंपरिक वेशभूषाएँ, जो अक्सर पीढ़ियों से चली आ रही हैं, एशिया के लोगों के लिए गर्व और विरासत का एक गहरा स्रोत बनी हुई हैं, और आज भी आधुनिकता के साथ सामंजस्य बिठाते हुए अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं।

1. पूर्वी एशिया के पारंपरिक परिधान

पूर्वी एशिया के परिधान अपनी विशिष्टता और ऐतिहासिक गहराई के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। यहाँ के देशों जैसे चीन, जापान और कोरिया के पारंपरिक वस्त्रों ने अपनी अनूठी पहचान बनाई है।

  • चीन (China):

    • हानफू (Hanfu): यह चीन के हान जातीय समूह का पारंपरिक परिधान है जिसका इतिहास तीन हजार वर्षों से भी अधिक पुराना है। हानफू में ढीली आस्तीन वाले ऊपरी वस्त्र (यी) और लंबी, बहने वाली स्कर्ट (शांग) या पतलून (कू) शामिल होते हैं। इसे अक्सर जटिल कढ़ाई और सजावटी तत्वों से सजाया जाता है। यह राजवंशों के अनुसार विभिन्न शैलियों में विकसित हुआ, लेकिन इसका मूल सार हमेशा बना रहा – लालित्य और मर्यादा।
    • किपाओ / चेओंगसम (Qipao / Cheongsam): 20वीं सदी में शंघाई में विकसित, किपाओ एक आधुनिक और स्टाइलिश चीनी पारंपरिक पोशाक है। यह एक स्लिम-फिटिंग, एक-टुकड़ा ड्रेस है जिसमें अक्सर ऊँचा कॉलर और साइड स्लिट होता है। यह चीन में महिलाओं की मुक्ति और आधुनिकीकरण का प्रतीक बन गया। किपाओ का डिज़ाइन शरीर की आकृति को खूबसूरती से निखारता है और इसे रेशम, साटन और अन्य महीन कपड़ों से बनाया जाता है। किपाओ के इतिहास, शैलियों और उसके सांस्कृतिक प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए, आप Cheongsamology.com पर जाकर शोध कर सकते हैं।
    • चांगशान (Changshan): यह किपाओ का मर्दाना समकक्ष है, जो एक लंबा, सीधा पुरुषों का वस्त्र है, जिसे अक्सर औपचारिक अवसरों पर पहना जाता है।
  • जापान (Japan):

    • किमोनो (Kimono): किमोनो जापान का सबसे प्रतिष्ठित पारंपरिक परिधान है, जिसका शाब्दिक अर्थ "पहनने वाली चीज़" है। यह एक टी-आकार का, सीधा-रेखा वाला वस्त्र है जो टखने तक लंबा होता है, जिसमें कॉलर और चौड़ी आस्तीन होती हैं। इसे कमर पर एक चौड़े बेल्ट, जिसे ‘ओबी’ कहा जाता है, से बाँधा जाता है। किमोनो विभिन्न अवसरों के लिए अलग-अलग होते हैं – जैसे ‘फुरिसोदे’ अविवाहित महिलाओं के लिए होता है जिसमें लंबी आस्तीन होती है, ‘युकाता’ गर्मियों का हल्का किमोनो है, और ‘इरोटोमेसोदे’ विवाहित महिलाओं के लिए होता है। किमोनो जटिल पैटर्न और रंगों से सजे होते हैं, जो प्रकृति और जापानी संस्कृति के रूपांकनों को दर्शाते हैं।
    • हाकामा (Hakama): यह एक प्रकार की पतलून या प्लीटेड स्कर्ट है जिसे किमोनो के ऊपर पहना जाता है। यह पारंपरिक रूप से सामुराई और मार्शल आर्ट अभ्यासियों द्वारा पहना जाता था, लेकिन अब इसे औपचारिक अवसरों और कुछ पारंपरिक खेलों में भी देखा जाता है।
  • कोरिया (Korea):

    • हानबोक (Hanbok): हानबोक कोरिया का पारंपरिक परिधान है, जिसे अक्सर जीवंत रंगों और सरल, बहने वाली रेखाओं की विशेषता होती है। इसमें महिलाओं के लिए ‘चिमा’ (एक लंबी, ऊँची कमर वाली स्कर्ट) और ‘जेओगोरी’ (एक छोटी जैकेट) शामिल होती है। पुरुषों के लिए, इसमें ‘जेओगोरी’ और ‘बाज़ी’ (ढीली पतलून) शामिल होती है। हानबोक को त्योहारों, समारोहों और विशेष अवसरों पर पहना जाता है। इसकी सुंदरता और लालित्य कोरियाई पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

पूर्वी एशियाई परिधानों की तुलना:

परिधान देश मुख्य विशेषताएँ अवसर
हानफू चीन ढीली आस्तीन, बहने वाली स्कर्ट/पतलून, समृद्ध कढ़ाई ऐतिहासिक/सांस्कृतिक उत्सव, प्रदर्शन
किपाओ चीन स्लिम-फिटिंग, ऊँचा कॉलर, साइड स्लिट, रेशमी कपड़ा औपचारिक समारोह, विशेष कार्यक्रम
किमोनो जापान टी-आकार, चौड़ी आस्तीन, ओबी बेल्ट, प्रकृति रूपांकन त्योहार, विवाह, चाय समारोह
हानबोक कोरिया जीवंत रंग, चिमा (स्कर्ट), जेओगोरी (जैकेट), सरल रेखाएँ विवाह, नए साल का जश्न, राष्ट्रीय अवकाश

2. दक्षिण पूर्व एशिया के पारंपरिक परिधान

दक्षिण पूर्व एशिया के परिधान इस क्षेत्र की उष्णकटिबंधीय जलवायु और विविध जातीय समूहों को दर्शाते हैं, जहाँ हल्के कपड़े और व्यावहारिक डिज़ाइन अक्सर पाए जाते हैं।

  • वियतनाम (Vietnam):

    • आओ दाई (Ao Dai): यह वियतनाम का राष्ट्रीय परिधान है, जो एक लंबी, स्प्लिट ट्यूनिक है जिसे चौड़ी पतलून के ऊपर पहना जाता है। यह लालित्य, विनम्रता और स्त्री सौंदर्य का प्रतीक है। आओ दाई को स्कूल यूनिफॉर्म से लेकर विवाह और अन्य औपचारिक आयोजनों तक, विभिन्न संदर्भों में पहना जाता है।
  • इंडोनेशिया / मलेशिया (Indonesia / Malaysia):

    • केबाया (Kebaya): दक्षिण पूर्व एशिया में, विशेष रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया में महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली एक सुंदर, फिटिंग वाली ब्लाउज है। इसे आमतौर पर ‘सारोंग’ (एक लपेटी हुई स्कर्ट) या ‘बाटिक’ (मोम-प्रतिरोधी रंगाई तकनीक से बना कपड़ा) के साथ पहना जाता है।
    • बाजू मेलायु (Baju Melayu): यह मलेशिया और इंडोनेशिया में पुरुषों द्वारा पहनी जाने वाली एक पारंपरिक पोशाक है, जिसमें एक ढीली शर्ट और लंबी पतलून होती है, जिसे अक्सर ‘सम्पिन’ (कमर पर लपेटे हुए सारोंग जैसा कपड़ा) के साथ पहना जाता है।
    • सारोंग (Sarong): एक बड़ा ट्यूब या कपड़े का टुकड़ा जिसे शरीर के चारों ओर लपेटकर पहना जाता है, जो दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए आम है।
  • फिलीपींस (Philippines):

    • बारांग तगलोग (Barong Tagalog): फिलीपींस का पुरुषों का राष्ट्रीय परिधान, जो अक्सर अनानास फाइबर या केले के फाइबर से बना होता है। यह एक पारदर्शी, कढ़ाई वाली शर्ट होती है जिसे बिना अंदरूनी शर्ट के पैंट पर पहना जाता है।
    • टेर्नो (Terno): फिलीपींस की महिलाओं का राष्ट्रीय परिधान, जिसमें आमतौर पर बटरफ्लाई स्लीव्स (तितली आस्तीन) और एक लंबी स्कर्ट वाला एक फिटिंग वाला ब्लाउज होता है।
  • थाईलैंड (Thailand):

    • थाई पारंपरिक पोशाक (Chut Thai): थाईलैंड में कई प्रकार की पारंपरिक पोशाकें हैं, जिन्हें समग्र रूप से ‘चुट थाई’ कहा जाता है। इनमें पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए रेशमी कपड़े, कढ़ाई और सोने के अलंकरणों का उपयोग होता है। महिलाओं के लिए, ‘चुट थाई’ में अक्सर एक ऊपरी वस्त्र और एक लपेटी हुई स्कर्ट या ‘फाह नुंग’ शामिल होता है।

3. दक्षिण एशिया के पारंपरिक परिधान

दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप, कपड़ों की शैलियों, ड्रेप्स और बुनाई की तकनीकों में एक अविश्वसनीय विविधता को प्रदर्शित करता है।

  • भारत (India):

    • साड़ी (Sari): भारत में महिलाओं का सबसे प्रतिष्ठित परिधान, साड़ी एक बिना सिला हुआ कपड़े का लंबा टुकड़ा (आमतौर पर 4.5 से 9 मीटर लंबा) होता है जिसे विभिन्न शैलियों में शरीर के चारों ओर लपेटा जाता है। इसे ब्लाउज (चोली) और एक पेटीकोट के ऊपर पहना जाता है। साड़ी की ड्रेपिंग शैली और कपड़े की सामग्री (रेशम, कपास, शिफॉन) क्षेत्र-क्षेत्र में भिन्न होती है और अवसर के अनुसार चुनी जाती है।
    • सलवार कमीज (Salwar Kameez): यह उत्तरी भारत और पाकिस्तान में बहुत लोकप्रिय है। इसमें एक लंबी ट्यूनिक (कमीज), ढीली पतलून (सलवार) और एक दुपट्टा या स्कार्फ होता है। यह दैनिक पहनने के लिए आरामदायक और बहुमुखी है।
    • लहंगा चोली (Lehenga Choli): विशेष रूप से त्योहारों, विवाहों और विशेष अवसरों पर पहनी जाने वाली यह पोशाक एक लंबी, कढ़ाई वाली स्कर्ट (लहंगा), एक फिटिंग वाला ब्लाउज (चोली), और एक दुपट्टा से बनी होती है।
    • धोती-कुर्ता (Dhoti-Kurta): पुरुषों के लिए, धोती एक बिना सिला हुआ कपड़ा है जिसे कमर और पैरों के चारों ओर लपेटा जाता है, जिसे ‘कुर्ता’ (लंबी शर्ट) के साथ पहना जाता है।
  • पाकिस्तान (Pakistan):

    • सलवार कमीज (Salwar Kameez): यह पाकिस्तान का राष्ट्रीय परिधान है, जिसे पुरुष और महिलाएं दोनों पहनते हैं। पुरुषों के लिए इसे अक्सर ‘शेरवानी’ (लंबा कोट) के साथ पहना जाता है।
    • शेरवानी (Sherwani): एक लंबा कोट जैसा वस्त्र जिसे पुरुषों द्वारा औपचारिक अवसरों, विशेषकर शादियों में पहना जाता है।
  • बांग्लादेश (Bangladesh):

    • बांग्लादेश में महिलाएं मुख्य रूप से साड़ी और सलवार कमीज पहनती हैं, जबकि पुरुष लुंगी (एक लपेटने वाला वस्त्र) और कुर्ता पहनते हैं।
  • श्रीलंका (Sri Lanka):

    • श्रीलंका में महिलाएं साड़ी पहनती हैं, जबकि पुरुष सारोंग (स्थानीय रूप से सिंहली में ‘सारामा’ या तमिल में ‘वैष्टि’) और शर्ट पहनते हैं।

4. मध्य एशिया और पश्चिमी एशिया के पारंपरिक परिधान

मध्य एशिया और पश्चिमी एशिया के परिधानों में अक्सर इस्लाम धर्म का प्रभाव और क्षेत्र की कठोर जलवायु का अनुकूलन देखा जाता है, जहाँ मर्यादा और संरक्षण महत्वपूर्ण होता है।

  • मध्य एशिया (Central Asia):

    • जैसे उज़्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान आदि देशों में पारंपरिक परिधानों में अक्सर ‘चपन’ (एक लंबा, गद्देदार कोट) प्रमुख होता है, जिसे पुरुष और महिलाएं दोनों पहनते हैं। इन परिधानों में अक्सर रंगीन कढ़ाई और जटिल पैटर्न होते हैं जो जनजातीय पहचान और ऐतिहासिक कला को दर्शाते हैं। सिर के वस्त्र जैसे ‘ट्यूबेतेयका’ (कढ़ाई वाली टोपी) भी आम हैं।
  • पश्चिमी एशिया / मध्य पूर्व (West Asia / Middle East):

    • थोब / दीशदाशा (Thobe / Dishdasha): यह अरब प्रायद्वीप में पुरुषों द्वारा पहना जाने वाला एक लंबा, ढीला, टखने तक लंबा गाउन है। यह अक्सर सफेद रंग का होता है ताकि गर्मी में ठंडा रहे, लेकिन सर्दियों में यह गहरे रंगों में भी पाया जाता है। इसे अक्सर ‘घुट्रा’ (सिर पर पहना जाने वाला कपड़ा) और ‘इकाल’ (घुट्रा को जगह पर रखने वाली रस्सी) के साथ पहना जाता है।
    • अबाया (Abaya) और हिजाब (Hijab): यह पश्चिमी एशिया की महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली एक ढीली, बहने वाली काली पोशाक है जो पूरे शरीर को ढकती है, अक्सर हिजाब (सिर का स्कार्फ) या निकाब (चेहरे को ढंकने वाला) के साथ। इनका उद्देश्य मर्यादा और विनम्रता बनाए रखना है।
    • कफ्तान (Kaftan): यह एक लंबा, ढीला ट्यूनिक है जो विभिन्न शैलियों और सामग्रियों में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका सहित कई क्षेत्रों में पहना जाता है। यह आरामदायक होता है और इसे दैनिक पहनने से लेकर औपचारिक अवसरों तक पहना जा सकता है।

एशिया के पारंपरिक परिधान इस विशाल महाद्वीप की सांस्कृतिक टेपेस्ट्री को दर्शाते हैं। प्रत्येक पोशाक सिर्फ कपड़े का एक टुकड़ा नहीं है, बल्कि यह उस समुदाय की पहचान, इतिहास और कलात्मकता का एक अभिन्न अंग है जिसने इसे बनाया और पहना है। आधुनिकता की दौड़ में भी, ये वेशभूषाएँ अपनी जड़ों से जुड़ी रहती हैं, त्योहारों और विशेष अवसरों पर गर्व के साथ पहनी जाती हैं। वे अतीत और वर्तमान के बीच एक पुल का काम करती हैं, यह सुनिश्चित करती हैं कि सदियों पुरानी परंपराएँ और शिल्प कौशल अगली पीढ़ियों तक जीवित रहें और फले-फूलें। वे सांस्कृतिक विविधता के संरक्षक के रूप में खड़े हैं, जो एशिया को दुनिया के सबसे रंगीन और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध महाद्वीपों में से एक बनाते हैं।

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