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एशिया के अद्भुत पारंपरिक परिधान: संस्कृति की पहचान

by Cheongsamology / रविवार, 03 अगस्त 2025 / Published in Blog

एशिया, विविध संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का एक विशाल महाद्वीप है। यहाँ की सांस्कृतिक समृद्धि का एक महत्वपूर्ण पहलू इसके पारंपरिक परिधान हैं, जो न केवल कपड़ों का एक टुकड़ा हैं, बल्कि इतिहास, सामाजिक स्थिति, धार्मिक विश्वासों, जलवायु और कलात्मक कौशल का एक जीवंत प्रदर्शन हैं। हर देश और यहाँ तक कि हर क्षेत्र के अपने विशिष्ट परिधान हैं, जो उस स्थान की पहचान और विरासत को दर्शाते हैं। ये पोशाकें पीढ़ियों से चली आ रही हैं, जिनमें समय के साथ थोड़े बदलाव आते रहे हैं, लेकिन उनका मूल सार और महत्व आज भी बरकरार है। वे उत्सवों, समारोहों और दैनिक जीवन का अभिन्न अंग हैं, जो समुदायों को जोड़ते हैं और उनकी अनूठी पहचान को बनाए रखते हैं।

  1. दक्षिण एशिया के पारंपरिक परिधान
    दक्षिण एशिया, जिसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान और मालदीव जैसे देश शामिल हैं, पारंपरिक परिधानों की एक विस्तृत श्रृंखला का घर है। यहाँ की पोशाकें अपनी जटिल कढ़ाई, चमकीले रंगों और आरामदायक संरचना के लिए जानी जाती हैं, जो क्षेत्र की गर्म जलवायु के अनुकूल हैं।
  • भारत: भारत में पारंपरिक परिधानों की अद्भुत विविधता है। महिलाओं के लिए, साड़ी एक कालातीत और प्रतिष्ठित परिधान है, जिसे पूरे देश में विभिन्न शैलियों में पहना जाता है, जैसे बनारसी, कांजीवरम, पटोला, बांधनी आदि। सलवार कमीज और लहंगा चोली भी उत्तर भारत में लोकप्रिय हैं। पुरुषों के लिए, धोती, कुर्ता और शेरवानी प्रमुख पोशाकें हैं।
  • पाकिस्तान और बांग्लादेश: इन देशों में सलवार कमीज पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक मुख्य परिधान है। महिलाएं रंगीन दुपट्टों के साथ सलवार कमीज पहनती हैं, जबकि पुरुष अक्सर नेहरू जैकेट या वेस्टकोट के साथ कुर्ता पहनते हैं। बांग्लादेश में, महिलाएं अक्सर सूती या रेशमी साड़ी पहनती हैं।
  • नेपाल: नेपाली पुरुषों का पारंपरिक परिधान दौड़ा-सुरुवाल है, जिसमें एक बंद गले की शर्ट (दौड़ा) और ढीले पतलून (सुरुवाल) शामिल हैं। महिलाएं गुन्यू-चोलो पहनती हैं, जो एक लंबी स्कर्ट और ब्लाउज का संयोजन है।
  • श्रीलंका: श्रीलंका में, महिलाएं पारंपरिक रूप से साड़ी (ओशारी या कंडीयन साड़ी) पहनती हैं, जबकि पुरुष अक्सर सारंग (एक लपेटा हुआ कपड़ा) पहनते हैं।

दक्षिण एशियाई परिधानों का अवलोकन:

देश पुरुष पारंपरिक परिधान महिला पारंपरिक परिधान मुख्य विशेषताएँ
भारत धोती, कुर्ता, शेरवानी साड़ी, सलवार कमीज, लहंगा चोली विविधता, कढ़ाई, क्षेत्रीय शैलियाँ
पाकिस्तान सलवार कमीज, कुर्ता सलवार कमीज आरामदायक, विस्तृत कढ़ाई
बांग्लादेश लुंगी, कुर्ता साड़ी, सलवार कमीज सूती, रेशमी, चमकीले रंग
नेपाल दौड़ा-सुरुवाल गुन्यू-चोलो सांस्कृतिक महत्व, विशिष्ट शैली
श्रीलंका सारंग साड़ी (कंडीयन) आरामदायक, उष्णकटिबंधीय मौसम के अनुकूल
  1. दक्षिण पूर्व एशिया के पारंपरिक परिधान
    दक्षिण पूर्व एशिया एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ समुद्री व्यापार मार्गों का गहरा प्रभाव रहा है, जिसने यहाँ के परिधानों में भी अपनी छाप छोड़ी है। इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, फिलीपींस और म्यांमार जैसे देशों में पारंपरिक पोशाकें अक्सर हल्के कपड़े, जीवंत पैटर्न और अद्वितीय लपेटने की शैलियों की विशेषता होती हैं।
  • इंडोनेशिया और मलेशिया: इन दोनों देशों में बाटिक फैब्रिक का व्यापक उपयोग होता है। महिलाएं केबाया पहनती हैं, जो एक फिटेड ब्लाउज होता है जिसे सारंग (एक ट्यूब-स्कर्ट) के साथ पहना जाता है। पुरुष बाजु मेलायु और बाजु कुरुंग (ढीली कमीज और पतलून) पहनते हैं।
  • थाईलैंड: थाईलैंड में, पारंपरिक पोशाक को ‘चुट थाई’ कहा जाता है। इसमें कई रूप होते हैं, जिनमें ‘फाह होम’ (लपेटा हुआ कपड़ा) और ‘सुआ पा-तंग’ (ब्लाउज) शामिल हैं। रेशम और हाथ से बुने हुए कपड़े अक्सर उपयोग किए जाते हैं।
  • वियतनाम: वियतनाम का सबसे प्रतिष्ठित पारंपरिक परिधान आओ दाई है, जो एक लंबा, फिटेड रेशमी गाउन है जिसमें साइड में स्लिट होते हैं और इसे ढीले पतलून के ऊपर पहना जाता है। यह अपनी सादगी, लालित्य और विभिन्न रंगों के लिए प्रसिद्ध है।
  • फिलीपींस: फिलीपींस का राष्ट्रीय परिधान बारोंग तागालोग है, जो पुरुषों के लिए एक कढ़ाई वाली पारदर्शी कमीज है जिसे अनटक्ड पहना जाता है। महिलाओं के लिए, टेर्नो एक प्रतिष्ठित पोशाक है, जिसे इसकी विशिष्ट तितली जैसी आस्तीन से पहचाना जाता है।
  • म्यांमार (बर्मा): म्यांमार का राष्ट्रीय परिधान लॉन्गई है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक ट्यूब-स्कर्ट जैसा लपेटा हुआ कपड़ा है। इसे ऊपर से एक ब्लाउज या शर्ट के साथ पहना जाता है।

दक्षिण पूर्व एशियाई परिधानों में आम तत्व:

देश विशिष्ट परिधान मुख्य वस्त्र सामान्य विशेषताएँ
इंडोनेशिया केबाया, सारंग बाटिक आरामदायक, उष्णकटिबंधीय
मलेशिया बाजु कुरुंग, बाजु मेलायु बाटिक, रेशम मुस्लिम प्रभाव, सुंदर कढ़ाई
थाईलैंड छुट थाई रेशम शाही परंपरा, विविध शैलियाँ
वियतनाम आओ दाई रेशम, पतला कपड़ा लालित्य, सादगी, पतले पतलून
फिलीपींस बारोंग तागालोग, टेर्नो पीना फाइबर, कॉटन यूरोपीय प्रभाव, विशिष्ट आस्तीन
म्यांमार लॉन्गई कॉटन, रेशम सरल, व्यावहारिक, ट्यूब-स्कर्ट
  1. पूर्व एशिया के पारंपरिक परिधान
    पूर्व एशिया, जिसमें चीन, जापान, कोरिया और मंगोलिया शामिल हैं, अपनी ऐतिहासिक गहराई और विशिष्ट कलात्मक शैलियों के लिए जाना जाता है, जो उनके पारंपरिक परिधानों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। ये पोशाकें अक्सर विस्तृत डिजाइन, प्रतीकात्मकता और उच्च गुणवत्ता वाले कपड़ों की विशेषता होती हैं।
  • चीन: चीन का पारंपरिक परिधान हानफू है, जो कई राजवंशों में पहना जाता था और विभिन्न रूपों में आता है, जिसमें बाह्य वस्त्र और नीचे की पोशाकें शामिल हैं। 20वीं सदी में, चिपकाऊ (Qipao) या चेओंगसाम (Cheongsam) ने प्रमुखता प्राप्त की, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में। यह एक सुरुचिपूर्ण, फिटेड गाउन है जिसमें हाई कॉलर और साइड स्लिट्स होते हैं। इस खूबसूरत परिधान और इसके इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी Cheongsamology.com पर प्राप्त की जा सकती है।
  • जापान: जापान का सबसे प्रसिद्ध पारंपरिक परिधान किमोनो है, जो एक ‘टी’ आकार का, सीधे-लाइन वाला रोब है जिसे बाईं ओर दाईं ओर लपेटकर ओबी (एक विस्तृत बेल्ट) के साथ बांधा जाता है। यह रेशम से बना होता है और अक्सर प्रकृति से प्रेरित विस्तृत पैटर्न से सजा होता है।
  • कोरिया: कोरिया का पारंपरिक परिधान हानबोक है, जिसमें महिलाओं के लिए चिओगोरी (एक छोटी जैकेट) और चीमा (एक लंबी, लपेटी हुई स्कर्ट) शामिल होती है, जबकि पुरुषों के लिए चिओगोरी और बाजी (ढीले पतलून) होते हैं। हानबोक अपने जीवंत रंगों और सरल, सुरुचिपूर्ण रेखाओं के लिए जाना जाता है।
  • मंगोलिया: मंगोलिया का पारंपरिक परिधान डेल है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक ढीला, लंबा, लपेटा हुआ रोब है। यह आमतौर पर कपास या रेशम से बना होता है और सर्दियों में गर्म फर के साथ लाइन में खड़ा होता है, जो मंगोलिया की कठोर जलवायु के लिए उपयुक्त है।

पूर्व एशियाई परिधानों की तुलना:

देश परिधान का नाम मुख्य विशेषताएँ उपयोग
चीन हानफू, चिपकाऊ/चेओंगसाम सुरुचिपूर्ण, फिटेड, साइड स्लिट्स (चिपकाऊ) औपचारिक अवसर, उत्सव, दैनिक (हानफू)
जापान किमोनो ‘टी’ आकार, विस्तृत ओबी, रेशम, प्रकृति पैटर्न विशेष अवसर, समारोह, कलात्मक प्रदर्शन
कोरिया हानबोक जीवंत रंग, सरल रेखाएँ, आरामदायक, बहुस्तरीय विवाह, त्योहार, राष्ट्रीय अवकाश
मंगोलिया डेल ढीला रोब, सर्दियों में फर, बेल्ट से बंधा दैनिक जीवन, घुमंतू जीवन शैली, समारोह
  1. मध्य एशिया के पारंपरिक परिधान
    मध्य एशिया, जिसमें कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं, रेशम मार्ग के चौराहे पर स्थित है, जिसने यहाँ के परिधानों पर गहरा प्रभाव डाला है। इस क्षेत्र के पारंपरिक परिधान अक्सर रंगीन, कढ़ाई वाले और सर्दियों की ठंड से बचाने के लिए मोटे कपड़ों से बने होते हैं।
  • कजाकिस्तान और किर्गिस्तान: इन देशों में, डेल (चोगा) पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक आम परिधान है। यह अक्सर विस्तृत कढ़ाई और फर ट्रिमिंग के साथ होता है। महिलाएं विशेष रूप से जटिल हेडड्रेस पहनती हैं, जैसे साकेले (कजाकिस्तान में) और अक-कलपाक (किर्गिस्तान में पुरुषों के लिए महसूस की गई टोपी)।
  • उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान: यहाँ के परिधान अक्सर रेशम और कपास के मिश्रण से बने होते हैं, जैसे इकत। चोगा (पुरुषों के लिए एक लंबा, कढ़ाई वाला रोब) और कुर्टा (महिलाओं के लिए) आम हैं। महिलाएं चमकीले रंग के कपड़े और जटिल हेडस्कार्फ पहनती हैं, जबकि पुरुष पारंपरिक ट्यूरेटिका (कढ़ाई वाली टोपी) पहनते हैं।

मध्य एशियाई परिधानों की विशेषताएँ:

देश सामान्य परिधान मुख्य विशेषताएँ ऐतिहासिक संदर्भ
कजाकिस्तान डेल, चापान फर-ट्रिम्ड चोगा, विस्तृत हेडड्रेस घुमंतू परंपराएँ
उज्बेकिस्तान चोगा, कुर्टा रेशम (इकात), रंगीन कढ़ाई, पुरुषों के लिए ट्यूरेटिका रेशम मार्ग, कृषि
तुर्कमेनिस्तान डोन, चापान चमकीले रंग, विशिष्ट पैटर्न, भारी कढ़ाई जनजातीय पहचान
ताजिकिस्तान चोगा, पैरांझा रेशम, सूती, महिला हेडस्कार्फ, पुरुष ट्यूरेटिका फारसी प्रभाव, कृषि
किर्गिस्तान डेल, चापान अक-कलपाक (पुरुषों के लिए), फर-लाइन वाले वस्त्र पहाड़ी, घुमंतू
  1. पश्चिमी एशिया/मध्य पूर्व के पारंपरिक परिधान
    पश्चिमी एशिया, जिसे मध्य पूर्व के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पारंपरिक परिधानों में गहराई से निहित है। ये पोशाकें अक्सर सादगी, मर्यादा और क्षेत्र की गर्म जलवायु के अनुकूल होती हैं।
  • अरब प्रायद्वीप (सऊदी अरब, यूएई, कतर आदि): पुरुषों के लिए, थॉब (या दिशदाशा/कंदूरा) एक लंबा, ढीला, एड़ी तक का गाउन है, जिसे अक्सर सफेद सूती कपड़े से बनाया जाता है। इसे श्माघ (एक चेकर्ड हेडस्कार्फ) या गुटरा (एक सफेद हेडस्कार्फ) और अगाल (एक काला बैंड जो इसे जगह पर रखता है) के साथ पहना जाता है। महिलाओं के लिए, अबाया (एक ढीला, काला गाउन) और हिजाब (हेडस्कार्फ) आम हैं, जो मर्यादा और विनम्रता का प्रतीक हैं।
  • ईरान: ईरान में, पुरुषों के लिए पारंपरिक रूप से चापान (एक लंबा रोब) और विभिन्न प्रकार की टोपी पहनी जाती थी। महिलाओं के लिए, चदोर (एक काला या रंगीन कपड़ा जो सिर और शरीर को ढकता है) और मैन्टो (एक लंबा कोट) आम हैं।
  • तुर्की: तुर्की में पारंपरिक पोशाकें ऐतिहासिक ओटोमन साम्राज्य की विरासत को दर्शाती हैं। पुरुषों के लिए, येलेंक (एक लंबा कोट) और फेज़ (लाल टोपी) आम थे, जबकि महिलाओं के लिए, शलवार (ढीले पतलून), यश्मक (हेडस्कार्फ) और फैंसी कोट पहने जाते थे। हालांकि, आधुनिक तुर्की में पश्चिमी शैली के कपड़े अधिक प्रचलित हैं, लेकिन पारंपरिक परिधानों का महत्व अभी भी त्योहारों और विशेष आयोजनों में देखा जाता है।

पश्चिमी एशियाई परिधानों का अवलोकन:

देश पुरुष पारंपरिक परिधान महिला पारंपरिक परिधान मुख्य विशेषताएँ
सऊदी अरब थॉब, श्माघ अबाया, हिजाब सादगी, मर्यादा, उष्णकटिबंधीय
ईरान चापान चदोर, मैन्टो धार्मिक महत्व, कड़ाई
तुर्की येलेंक, फेज़ शलवार, यश्मक ओटोमन प्रभाव, आरामदायक

एशिया के पारंपरिक परिधान इस महाद्वीप की सांस्कृतिक टेपेस्ट्री का एक अभिन्न अंग हैं। वे केवल कपड़े नहीं हैं, बल्कि कहानीकार हैं जो पीढ़ियों से चली आ रही मान्यताओं, जीवन शैली, कलात्मक अभिव्यक्तियों और प्राकृतिक वातावरण के साथ तालमेल को बयां करते हैं। रेशम की बुनाई से लेकर जटिल कढ़ाई तक, प्रत्येक परिधान अपने पहनने वाले और उनकी जड़ों के बारे में बहुत कुछ कहता है। यद्यपि आधुनिकता और पश्चिमी फैशन का प्रभाव बढ़ रहा है, फिर भी इन पारंपरिक पोशाकों को दुनिया भर के लोगों द्वारा गर्व के साथ पहना, पोषित और सराहा जाता है। वे एशिया की अद्वितीय विरासत और सांस्कृतिक विविधता के प्रतीक के रूप में खड़े हैं, जो हमें अतीत से जोड़ते हैं और भविष्य में पहचान की भावना प्रदान करते हैं।

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